हम कैसे भुला दें जहन से, भोपाल कांड को ....!!!
हम कैसे भुला दें जहन से, भोपाल कांड को ,
जिसने हिला के रख दिया ,पूरे ब्रह्माण्ड को ॥
भोपाल मे इंसानी लाशों के, अम्बार लगे थे ,
बुझ गए जीवन दिए जो, अभी-अभी जगे थे ॥
कोई किसी का ,कोई किसी का ,रिश्ता मर गया ,
जिंदगी समेटने की कोशिश मे ,सब कुछ बिखर गया ॥
जिनकी आँखों की गयी रौशनी , जीने की भूख गयी ,
खिली हुई कुछ उजड़ी कोखें , कुछ कोखें पहले सूख गयी ॥
सालों बाद स्मृत पटल पर, यादें धुंधली नही हुई हैं ,
भयावह मंजर से अब भी '' उसकी आँखें खुली हुई हैं''॥
इन्हें न्याय की दहलीज से,बस तिरस्कार मिला ,
कैसे -कैसे मिली हमदर्दी ,कैसा ''राज-सत्कार मिला ॥
कौन सहलाये इन मजलूमों की ,तन मन की चोटों को ,
गिनने मे रहीं व्यस्त -सरकारे ,लाशों और वोटों को ॥
सब दलों के नेता देख रहे हैं ,इसे राजनीति के दर्शन मे ,
जब की कोई फर्क नही है ''अफजल ''कसाब 'और ANDERSON मे ॥
अगर ''कमलेश '' नही न्याय -सुरक्षा पूरा सरकार करेगी ,
क्या फिर कहीं दूसरे, भोपाल -कांड का इंतजार करेगी ॥
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2 comments:
ekdam sach kaha...vicharottejak rachna...
does it really matters?
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