मंगलवार, 4 मई 2010 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

सम्वेदनाओं के शून्य...!!!


सम्वेदनाओं के शून्य को ,जगाना चाहता हूँ !
विचारो के उत्तेज से ,हलचल मचाना चाहता हूँ !

मर्म को पहचान, चोट करारी होनी चाहिए ,
बंद आँखों को नींद से ,जगाना चाहता हूँ !

खून की गर्म धारा ,बह रही ही जिस्म में ,
देश-भक्ति का इसमें ,उबाल लाना चाहता हूँ !

जज्बों में ना कमी हो तो ,समन्दर भी छोटा है ,
,आसमां में अपना तिरंगा फहराना चाहता हूँ !

कमी नही इस देश में, बौद्धिक शारीरिक बल की ,
'कमलेश' इसे विश्व शीर्ष पर पहुंचाना चाहता हूँ !!

12 comments:

Shekhar Kumawat ने कहा…

bahut khub

बैठे हैं बनाके जो ,अपने ना ''पाक '' इरादे ,
'कमलेश 'बारूद के उस ढेर को उड़ाना चाहता हूँ !!



badi khatarnak tamanna he aap ki

hamari or se badhai

M VERMA ने कहा…

मर्म को पहचान, चोट करारी होनी चाहिए ,
मर्म की पहचान हो तो न चोट हो
सुन्दर

श्यामल सुमन ने कहा…

कमलेश भाई रचना पढ़ी। अच्छी पंक्तियाँ बन पड़ी हैं।

लेकिन अंतिम शेर के बारे में मुझे कहना है कि आखिर पाक में भी तो इन्सान रहते हैं। मेरे हिसाब से शायर - कवि को मुल्कों की सीमा से भी बाहर होकर सोचना चाहिए। किसी शायर की पंक्ति याद आती हे - "मैं अपनी जेब में अपना पता नहीं रखता"।

रचनाकार तो हवा की तरह होता जिसका कोई मुल्क नहीं होता। पाकिस्तान से राजनैतिक स्तर पर जो हुआ, जो हो रहा है और जो होगा - वो सब दोनों देश के आपसी कटुता का परिणाम है। लेकिन पूरे पाक को बारूद से उड़ा देनेवाली बात कुछ जँची नहीं।

उम्मीद है अन्यथा नहीं लेंगे। बस अपने मन की बात कह दी।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

दिलीप ने कहा…

bahut khoob josh dila diya aapne...

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji ने कहा…

वंदे मातरम
जय श्री राम
तेरा वैभव अमर रहे माँ हम दिन चार रहें न रहें.

Yashwant Mehta "Yash" ने कहा…

एक दम जानदार कविता.....शीर्ष पर हो भारत वर्ष ये हमारा भी सपना हैं.....

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत शानदार रच्ना है बधाई ये जज्वा यूँही बना रहे। शुभकामनायें

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

कमी नही इस देश में, बौद्धिक शारीरिक बल की ,
'कमलेश' इसे विश्व शीर्ष पर पहुंचाना चाहता हूँ !!

आपकी कामनाएँ पूर्ण हों हमारी भी यही कामना है!

संजय भास्‍कर ने कहा…

बस अपने मन की बात कह दी।

kavita verma ने कहा…

bahut khoob shabd hai bahut sunder bhav,aapki abhilashaye bhi bahut sunder hai,aapki har kamna poori ho.

Unknown ने कहा…

देश-भक्ति का इसमें ,उबाल लाना चाहता हूँ
उतसाह बर्धक

कडुवासच ने कहा…

जज्बों में ना कमी हो तो ,समन्दर भी छोटा है ,
,आसमां में अपना तिरंगा फहराना चाहता हूँ !
.... बेहतरीन .... लाजवाब !!!