रविवार, 2 मई 2010 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

बरसात...!!


नन्ही -नन्ही बरसात की बूँदें ,शीतलता देती जीवन में ,
जाती स्फूर्ति उपवन में,जीवन जीवित हो जाता कण-कण में !!

5 comments:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

बहुत अच्छी लगी यह कविता....

कविता रावत ने कहा…

सुन्दर जीवंत चित्रमय प्रस्तुति के लिए धन्यवाद.
हार्दिक शुभकामनाएँ

Udan Tashtari ने कहा…

बिकुल सही कहा...

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत खूब, लाजबाब !

Urmi ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत और शानदार कविता लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! इस उम्दा कविता के लिए बधाई!