बादलों में छुपकर...!!
बादलों में छुपकर चाँद खो गया ,
थपकी दी पवन ने चाँद सो गया ।
झिलमिल सितारों की सुनहरी रात है,
दे गयी अपने मिलन की सौगात है ।
खुली पलकों से तेरे सपने देखती आँखें ,
तेरी लहराती जुल्फों के सपने देखती आँखें ।
जवां रात की अंगड़ाई में खिला योवन ,
चांदनी के जलाल में घुला-मिला योवन।
छुपा लो इस कयामत को इस रात में ,
कहीं सब कुछ भूल न जावूँ जज्बात में ।
'कमलेश' नहीं भूल पाता हूँ उस बात को ,
जो धीरे से कानो में कही थी उस रात को ॥
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1 comments:
खुली पलकों से तेरे सपने देखती आँखें ,
तेरी लहराती जुल्फों के सपने देखती आँखें
-सुन्दर नज़्म!
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