बेवफाई का अहसास इन ,
हवावों में क्यों है तारी ।
क्या किसी भरोसे को फिर,
तोड़ने की है बारी ।
पहले के जख्म अभी सूखे भी नही ,
फिर क्या दूसरे जख्मों की है तय्यारी ।
करते रहे इलाज जिस्म के दागों की ,
आखिर में पता चला ये,,तो दिल की है बीमारी।
छुड़ा कर चाहे दामन,चले जाना तुम ,
पर तुमसे पहले जाने की मेरी है बारी।
मेरी कशिश दिल में रहे बाकी तेरे ,
रहेगी आखिरी वक्त तलक कोशिश है हमारी।
'कमलेश 'न होना शर्मिंदा किसी के सामने ,
जो भी गुजरा उसकी मेरी है जिम्मेदारी।
1 comments:
achha likhate he aap.pahli baar aayaa aapke blog par achha lagaa.
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