तन्हा जिन्दगी के सफर में ,तेरा साथ चाहिए ,
गिर न जावूँ कहीं ठोकर खा के ,तेरा हाथ चाहिए ।
जिन्दगी गुजर गयी तन्हाईयों के साथ ,
अब तुमसे खुशियों कि सौगात चाहिए ।
मंसूबे जो बने वो पूरे न हुए ,
हो जाये कुछ ऐसा अकस्मात चाहिए ।
जिन्दगी की किश्ती को किश्तों में न बाँट ,
इसके लिये भी वक्त इफरात चाहिए ।
'कमलेश 'कुल मिला लब्बो -लुबाब ये ।
वादा निभाने को भी औकात चाहिए ॥
3 comments:
ज़िन्दगी की कश्ती को किश्तों में न बाँट
वाह क्या कहने ---
बहुत सुन्दर
कमलेश 'कुल मिला लब्बो -लुबाब ये ।
वादा निभाने को भी औकात चाहिए ॥
वाह वाह बहुत खूब बधाई
jindagi ki tanhayi ko badi khubsurati se utara hai aapne...
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