गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

किस्मत वफा करे तो क्या बात है..?


किस्मत वफा करे तो क्या बात है..?

रहबर हो साथ ,इस राहे गुजर में ,हो ठंडी हवा और चांदनी रात;
तो क्या बात है ॥?

रफ्ता -रफ्ता चली जा रही है जिन्दगी , बैठ कर साँस लेने का वक्त हो ,
तो क्या बात है ॥?

गुजारिस है किस्मत से बदल ले अपनी डगर ,क्या पता 'वक्त ' बे -वक्त हो मेहरबां ,
तो क्या बात है ॥?

हूँ ''कमलेश '' इस अदा पर फ़िदा ,गर किस्मत फ़िदा - जिन्दगी हो ,
तो क्या बात है ॥?

4 comments:

निर्मला कपिला ने कहा…

ांअपकी रचना क्या बात है बधाइ

समयचक्र ने कहा…

वाह क्या बात है बहुत बढ़िया

Udan Tashtari ने कहा…

वाह साहब!! आपकी रचना और हम पढ़े तो क्या बात है-आनन्द मगन हो जाते हैं.

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice