मंगलवार, 29 सितंबर 2009 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

इंतजार कराओ हमे इतना ...!!!


इंतजार कराओ हमे इतना कि,
वक़्त के फैसले पर अफ़सोस हो जाये,

क्या पता कल तुम लौटकर आओ,
और हम खामोश हो जाएँ,

दूरियों से फर्क पड़ता नहीं,
बात तो दिलों कि नज़दीकियों से होती है,

दोस्ती तो कुछ आप जैसो से है,
वरना मुलाकात तो जाने कितनों से होती है,

दिल से खेलना हमे आता नहीं .
इसलिये इश्क की बाजी हम हार गए ,

शायद मेरी जिन्दगी से बहुत प्यार था उन्हें,
इसलिये मुझे जिंदा ही मार गए ,

मना लूँगा आपको रुठकर तो देखो,
जोड़ लूँगा आपको टूटकर तो देखो।

नादाँ हूँ पर इतना भी नहीं ,
थाम लूँगा आपको छूट कर तो देखो।

लोगमोहब्बत को खुदा का नाम देते है,
कोई करता है तो इल्जाम देते है।

कहते है पत्थर दिल रोया नही करते,
और पत्थर के रोने को झरने का नाम देते है।

भीगी आँखों से मुस्कराने में मज़ा और है,
हसते हँसते पलके भीगने में मज़ा और है,

बात कहके तो कोई भी समझलेता है''कमलेश'',
पर खामोशी कोई समझे तो मज़ा और है॥

2 comments:

Udan Tashtari ने कहा…

लाईन ब्रेक करिये न!! अच्छा लगेगा पढ़ने में.

Randhir Singh Suman ने कहा…

कहते है पत्थर दिल रोया नही करते,
और पत्थर के रोने को झरने का नाम देते है।nice