मन में हो उल्हास तो ....!!!
मन में हो उल्हास तो जीवन उत्सव मनाता है ,
अवसाद हो किसी कोने में तो उदास हो जाता है ,
कौन सा वो अधजला सवाल उठा था सीने में ,
जिसकी जलन से वह बदहवास हो जाता है !
इसे शिकवा नही हुआ कभी अपने -बेगानों से
कौन दगा देगा पहले ही अहसास हो जाता है ,
ढेर साजिशें तारी हैं इन जमाने की हवाओं में ,
शुक्र है इनका वक्त से पहले पर्दाफास हो जाता है !
उनको गिला रहेगा हमेशा , इस बात का अभी ...
जिसको करते रहे वो दूर ,वो और पास हो जाता है ?
'कमलेश '' जो रखें अपनों को अपने में समेट कर ,
ऐसा अहसास अपनों का बिलकुल खास हो जाता है ॥
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1 comments:
सुन्दर सृजन के लिए बधाई स्वीकारें.
समय- समय पर मिले आपके स्नेह, शुभकामनाओं तथा समर्थन का आभारी हूँ.
प्रकाश पर्व( दीपावली ) की आप तथा आप के परिजनों को मंगल कामनाएं.
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