के.सी.वर्मा ''कमलेश''

मेरे दिल की बात....सीधा दिल से....आप तक!!!

Pages

  • मुख्यपृष्ठ
बुधवार, 26 अगस्त 2015 at 10:10:00 pm | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

कब तक तुम्हारी....।।

इसे ईमेल करें इसे ब्लॉग करें! X पर शेयर करें Facebook पर शेयर करें

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

नई पोस्ट पुरानी पोस्ट मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom)

Blog Archive

{ MEHMAAN-DAARI }

Blogger द्वारा संचालित.

Menu

  • AAPKIAANKHEN
  • TECHRAVI
  • jhankar tarang
  • meribhisuno
Page Rank Check www.hamarivani.com

Facebook बैज

Kamlesh Bhagwati Parsad Verma | अपना बैज बनाएं

{ LIVE -MEHMAAN-DAARI }


लोकप्रिय पोस्ट

  • क्यूँ तल्खियां यहां...💐
    क्यूँ तल्खियां यहां की दस्तूर बन रही हैं, कुछ बस्तियां चमन की नासूर बन रही हैं। कलियां क्यूँ बिखरी हैं राहों में साथ कांटों के ये  बा-कसूर ब...
  • सम्वेदनाओं के शून्य...!!!
    सम्वेदनाओं के शून्य को , जगाना चाहता हूँ ! विचारो के उत्तेज से , हलचल मचाना चाहता हूँ ! मर्म को पहचान , चोट करारी होनी च...
  • मन का अन्तर्द्वन्ध..किसी कोने से ...!!!
    हिन्दी powered by Lipikaar.com मेरा तन - मन उचाट क्यूँ है ? इस पूरे जहान से , चिड़ियों ने भी समेट लिये , घोंसले मेरे मकान से...
  • किस्मत वफा करे तो क्या बात है..?
    किस्मत वफा करे तो क्या बात है..? रहबर हो साथ , इस राहे गुजर में , हो ठंडी हवा और चांदनी रात ; तो क्या बात है ॥? रफ्...
  • समझा ना सके...!!
    तेरी चिलमन की बंदिशें हटा ना सके, है चाँद छुपा इसमें,खुद को बता ना सके।। है इंतजार हवा के झोंके का मुझको, खुद तो उलझन  सुलझा ना सके।। चि...
  • कंक्रीट के जंगलों में...!!!
    कंक्रीट के जंगलों में , इंसानियत खो गयी , इन्सान हो गये पत्थर के , जिन्दगी कंक्रीट हो गयी । अब नही बहते आंसूं यहाँ ,...
  • '200''वीं पोस्ट ..// ''आ गयी दोस्त ''...!!!
    '' अब तक आप लोगों के आशीर्वाद एवम प्यार की अनछुए स्पर्श को महसूस कर  के अच्छी -बुरी जो मेरी योग्यता थी ,अपनी कलम से लिखता गया ,कु...
  • बदली हुई फिजा है हिंदुस्तान की ..
    बदली - बदली सी फिजा , लग रही है हिंदुस्तान की , कुछ ज्यादा ही कीमत , बढ़ गयी है सच्चे इमान की , आसन नही है चलना , सत्...
  • तुम झांको मेरी आँखों में ...!!!
    तुम झांको मेरी आँखों में ,जरा करीब से , न नापो अरमानों को ज़माने की ज़रीब से । ''कभी न मिले दो दिल '', ये तो ज़माने की फितरत ह...
  • क्यों पंछी हुआ उदास...!!! पलायन का दर्द ?..
    क्यों पंछी हुआ उदास ,अपना नीड़ छोड़ कर , जिसे  संजोया था ,तिनका -तिनका जोड़ कर।  न किया गिला किसी से ,न शिकायत किसी की , चुप-चाप उड़ चला ...

लिखिए अपनी भाषा में

मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें

{ JAGTE-RAHO}

MyFreeCopyright.com Registered & Protected
Copyright © 2010 - के.सी.वर्मा ''कमलेश'' - is proudly powered by Blogger.
Theme Design: RayThemz.