हसरत मिटी ना दिल की !!!
हसरत मिटी ना दिल की ,इक बार तुमसे मिल के ,
ना कह सके ये लब , अरमां जो थे दिल के ।
आँखों में थी जुस्तजू,तुमसे नजरें मिलाने की ,
बस बेबस रही ये आँखें ,रह गयी पलकें बस हिल के ॥
अब भी बचा शरारत भरा ,आँखों में अक्श दिल का ,
दिल देखता है उनको ,आँखों के पासे बदल -बदल के ॥
होठों की सुर्ख धारें भी ,रही होंगीं वहां मगर ,
आँखें देखती रही चेहरा ,खुद ही मचल -मचल के ॥
मिलने की हर सूरत ,बना देगी कायनात ज़रूर ,
किस्मत लाएगी तुमको ,मेरी राह में खुद चल के ॥
अरे !तुम और मेरी रह-गुजर में ,यकीं नहीं होता ,
'कमलेश'आ गया है दिल ,बाहर पिघल-पिघल के ॥
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1 comments:
मिलने की हर सूरत ,बना देगी कायनात ज़रूर ,
किस्मत लाएगी तुमको ,मेरी राह में खुद चल के ॥
सुन्दर रचना , बधाई.
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