तुमसे मिले जब हम ,मन मचल गया ,
पकड़ा था दोनों हाथ में ,फिर भी फ़िसल गया।
कहने को हमको कोई, फर्क नही पड़ता ,
पर तेरे रूप के जलवों से ,ईमान हिल गया।
रातों की गयी नींद ,मन का चैन छीन गया ,
मै तो हुआ तेरा ,साथ' मेरा दिल भी गया।
आज़ाद कर अपनी कैद से ,या दे-दे सज़ा ,
उड़ने को तेरे प्यार का, आसमां मिल गया।
जिनको नही है 'इल्म' ,मुहब्बत की गहराई का,
दे दी किसी ने जान , तब ज़माना हिल गया।
''कमलेश''ऐसे ही 'शमां ' परवानो से नही मिलती ,
हद थी 'इश्क' की ,उसी की लौ में जल गया।।
पकड़ा था दोनों हाथ में ,फिर भी फ़िसल गया।
कहने को हमको कोई, फर्क नही पड़ता ,
पर तेरे रूप के जलवों से ,ईमान हिल गया।
रातों की गयी नींद ,मन का चैन छीन गया ,
मै तो हुआ तेरा ,साथ' मेरा दिल भी गया।
आज़ाद कर अपनी कैद से ,या दे-दे सज़ा ,
उड़ने को तेरे प्यार का, आसमां मिल गया।
जिनको नही है 'इल्म' ,मुहब्बत की गहराई का,
दे दी किसी ने जान , तब ज़माना हिल गया।
''कमलेश''ऐसे ही 'शमां ' परवानो से नही मिलती ,
हद थी 'इश्क' की ,उसी की लौ में जल गया।।
2 comments:
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति,आभार.
रातों की गयी नींद ,मन का चैन छीन गया ,
मै तो हुआ तेरा ,साथ' मेरा दिल भी गया।
वाह बहुत खूब ...प्यार भरे दिल की आवाज़
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