रविवार, 12 मई 2013 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

तुमसे मिले जब हम.....!!!

तुमसे मिले जब हम ,मन मचल गया ,
पकड़ा था दोनों हाथ में ,फिर भी फ़िसल  गया। 

कहने को हमको कोई, फर्क नही पड़ता ,
पर तेरे रूप के जलवों से ,ईमान हिल गया। 

रातों की गयी नींद ,मन का चैन छीन गया ,
मै तो हुआ तेरा ,साथ' मेरा दिल भी गया।

आज़ाद कर अपनी कैद से ,या दे-दे सज़ा ,
 उड़ने को तेरे प्यार का, आसमां  मिल गया।

जिनको नही है 'इल्म' ,मुहब्बत की गहराई का,
दे दी किसी ने जान , तब ज़माना हिल गया। 

''कमलेश''ऐसे ही 'शमां ' परवानो से नही मिलती ,
हद थी 'इश्क' की ,उसी की लौ में जल  गया।।

2 comments:

Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति,आभार.

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

रातों की गयी नींद ,मन का चैन छीन गया ,
मै तो हुआ तेरा ,साथ' मेरा दिल भी गया।


वाह बहुत खूब ...प्यार भरे दिल की आवाज़