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रविवार, 1 दिसंबर 2019

जिंदा हूँ....‼️

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ज़िंदा हूँ ज़िंदगी के अशरात
नज़र आने लगे हैं।

एक और भी है शख़्स लोग
मजलिशों में बताने लगे हैं।

सुना है उनके भी पैग़ाम
अब आने लगे हैं।

उनके सपने हकीकत में
सताने लगे हैं।

महफिलों में है,गुफ्तगू 
हसीन चेहरे नज़र आने लगे हैं।

कहीं दूर शबाब निखरा है
भँवरे मंडराने लगे हैं।

अब अलग अंदाज,हवा में
लहराने लगे हैं।

दौर है अब भी पुरानी राह पर
कमलेश'नए किरदार आने लगे हैं। 

🌺कमलेश वर्मा🌹कमलेश🌺

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