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शुक्रवार, 22 नवंबर 2019

हम बेख़बर थे...!!

हम बेख़बर थे ,अपने कल के लिए
क़दम ठिठके ,एक पल के लिए।

बहुत दूर जाते, दिखे वो सभी
रुक गए थे राह में, जिनके लिए।

मन्ज़िल की राह, कुछ दुशवार थी
हाथों से कांटे चुने थे इनके लिए।

जख़्म रिसते रहे,पर दर्द काफूर था
नहीं वक़्त था ,उफ़ करने के लिए।

आसमां में दिखी,एक चिड़िया उड़ती हुई
चोंच में दबाए कुछ तिनके लिए।

कमलेश' आबाद है दुनिया इस उम्मीद पर
 कुछ छोड़ जाएं अच्छा
कल के लिए।।💐

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