ये कैसा शहर है
ना कोई आहट
ना कोई खबर है।💐
क्यूँ उनींदा सा है ए
बोझिल पलकों में
ये सुबह की पहर है।💐
क्यूँ फ़िज़ां में है फैला
धुँआ धुँआ सा ये !
येआलूदगी का ज़हर है।💐
रवाँ जवाँ ज़िन्दगी थी
जिसकी सुबह शाम
ये अब क्यूँ गया ठहर है।💐
पुर अमन की हक़ीक़त
है अब जब यहां,
ये क्यूँ नहीं चेहरों पर
आता नज़र है।💐
अपनों ने ही अपनों को
दगा दे दिया
बे भरोसगी की हद
यहां इस क़दर है।💐
पहले तो नहीं था मिज़ाज़
ये मेरे शहर का
अब लग गई किसकी
इसको काली नज़र है।💐
ढूंढो जिसने फैलाई
है अफवाह मेरे शहर में
ढूंढता उसको हर बशर है।💐
कमलेश' ऐसा नहीं है
जैसा सोचते है लोग
ये ज़िन्दा दिल लोगों का
शहर है।💐
देखना है तो इसको
अल सुबह देखो
कितनी खूबसूरत
इसकी सहर है।।💐
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