हुआ है क्या लोगों ,आज़ के ज़माने को,
ढूंढता है क्यूँ ,हर गली जाती है मयख़ाने को।💐
छोड़ दी पीनी हमने ,उसके इसरार पर
पाबन्दी लगा दी है मगर, उसने हमें बताने की।💐
नींद भरी आंखों में ,ना देखो लाल डोरों को,
परछाईं है उसकी मय भरी 'आंखों के पैमानों की।💐
लड़खड़ाता हूँ मैं ये सबको ,बहुत अजीब लगता है,
पर क्या करूं ये अदा है मेरी ,मंज़िल तक पहुंच जाने की।💐
आसान नहीं है इश्के-इबादत ,इस स्याह दुनिया में,
आग के दरिया में है राहे-डगर ,मुहब्बत के आस्ताने की।💐
हम पर जुल्मों ,ज़बर, पाबंदियों का ,दौर भी गुज़रा है,
छोड़ी ना कसर दुनिया ने, प्यार की हद को आजमाने की।💐
सदियों से एक रिवायत बना रखी है , इश्क़ के परवानों ने,
'कमलेश' निभाते हैं कसम अब तक शमां पर मिट जाने की।।💐💐
@कमलेश वर्मा 'कमलेश'
पटियाला💐💐
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