कौन कहता है कि दर्दे -दिल नही होता ?
न होता, तो ''दिल''दिल ही दिल में क्यूँ रोता ।
टपकते न आँसू बिन आवाज के ,
उठती न टीस गर दर्द न होता ,।
इसको कुदरत का अजूबा कहें ,
या कहें और कुछ ?
चुभते हैं शूल अगर फूल काँटों में न होता ,
कुछ भी नही दीखता इस ज़माने को,
दे जाते हैं इक तसल्ली इस दिल को ,
''वही होता है ''कमलेश'' ''जो मंजूरे खुदा होता ''।
इस दर्द की शिद्दत का, जरा भी गुमान होता ,
तो उनकी यादों का बोझ हरगिज न ढोता ॥
1 comments:
दर्द होता है जी
और दिल वालों को ही एहसास होता है दर्द का
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