अनजाने में छु ....!!!
अनजाने में छू गया था हाथ तेरा ,
पल को लगा मिल गया साथ तेरा ।
दिल ही तो है इसका क्या करें ,
न मिलो तो होता होगा, क्या हाल मेरा ।
ये ख्याल मुझे जीने नही देता ,
मिली तो क्या होगा सवाल तेरा ?
कटने को तो कट रही है जिन्दगी ,
क्यूँ की मेरे पास है जो रुमाल तेरा ।
ऐसे बेदर्द तो नही हो" कमलेश" ,
की जेहन में न आए ख्याल मेरा ॥
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6 comments:
सुन्दर रचना आभार आपका
जी बढ़िया लिखा है. बधाई.
अनजाने में छू गया था हाथ तेरा ,
पल को लगा मिल गया साथ तेरा
बहुत सुन्दर...
atisundar .......shabd our bhaaw behad khubsoorat
क्यूँ की मेरे पास है जो रुमाल तेरा ।
बहुत खूबसूरत बहाना ढ़ूढ़ा आपने..जीने का ;-)
अनजाने में छू गया था हाथ तेरा ,
पल को लगा मिल गया साथ तेरा ।
waah....!!
Kamlesh ji har she'r lajwaab hai kiski tarif karun aur kiski n karun ....!!
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