क्यों नही समझते ,
किसी का दर्द ,बेबसी ।
क्यों मुस्कराते हो तुम ,
गर मेरी जान जाती है ,
ख़ुद को देखती हो,
जब आईने में।
,ख़ुद को पा लेती हो ।
,पर मेरी पहचान जाती है ।
ख़ुद को खुश कर लो,
यह तुम्हारी गफलत है ।
मुझे हो तकलीफ तो ,
तुम्हारी मुस्कान जाती है ।
याद करके तडफ उठती मेरी रूह ,
सूरत तेरी यादों में तूफ़ान लाती है ।
''कमलेश''दिल में बसा रखना,
मेरी यादों को ,
जब ''याद''आती है,
तो यही फरमान लाती है ॥
2 comments:
याद करके तडफ उठती मेरी रूह ,
सूरत तेरी यादों में तूफ़ान लाती है ।
बहुत खूब क्या एहसास है!
बहुत सुन्दर रचना
बहुत ही भावमय है आपकी रचना!!!!!!!!
बधाई!
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