कौन होना चाहता है ?
यहाँ बे-आबरू ।
ये वक्त ही है ,
बे-शर्म बना देता है
हसरत मुझे भी थी,
आसमान छूने की ,
वक्त ,कोशिशों की सीढ़ी को ,
बे-वक्त गिरा देता है ।
संभल -संभल कर बढ़ रहे थे ,
जानिबे - मंजिल ,
जो कभी खत्म न हो राह ,
वक्त,पकडा वो सिरा देता है ।
टूटते हौंसलों को ,
कैसे सम्भाले ''कमलेश'' ,
बसे बसाये घरौंदों पर ,
वक्त बिजली गिरा देता है ,
हिम्मत से तोड़ दोगे
वक्त के हौसले ,
वक्त ही देखो ?
जिन्दगी को मशविरा देता है ॥ ,
2 comments:
जिन्दगी को मशविरा देता है ॥
suman.barabanki
mo.n. 9450195427
बहुत सही .. परिस्थितियां सबकुछ झेलने को मजबूर कर देती हैं .. समय बहुत बलवान होता है .. लेकिन मनुष्य अपनी दृढ इच्छा शक्ति से तो उससे उबर ही जाता है !!
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