इस जैसी सरकार
अरे रे रे रे ना बाबा
कौन करेगा ऐतबार
अरे रे रे रे ना बाबा।
मीठे सपनों की तिकड़म बाज़ी है
बस वादों की मीठी लफ़्फ़ाज़ी है
है बस झूठ मूठ का प्यार..अरे रे रे।
झूठे सपनों का मेला था
ये राजनीति का खेला था
किया जनता का व्यापार...अरे रे रे रे।
जब भी चुनाव नज़दीक हुए
विपक्षी दल भी भयभीत हुए
अब क्यों हुए सभी एकसार..अरे रे रे रे।
इनमें किसी के सर घोटाला है
कोयले से किसी का मुंह काला है
कोई है माया का अम्बार.. अरे रे रे रे।
फिर जब ये भी सत्ता में आएंगे
अपने वही पुराने रंग दिखाएंगे
होगा फिर देश का बंटाधार..अरे रे रे।
अब जनता बताओ क्या करे
किधर जिये और किधर मरे
जब सब कमलेश, दिखते हैं बेकार,..अरे रे रे हां बाबा।
4 comments:
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, सेठजी, मनिहारिन और राधा रानी “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (09-07-2018) को "देखना इस अंजुमन को" (चर्चा अंक-3027) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
सुंदर यथार्थ दर्शन करवाती सार्थक रचना ।
वाह !!!!
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