आंखे थोड़ी थोड़ी सी जो,
दिख रही हैं,
चाहत की इक नई दास्तां,
लिख रही हैं।।
शरारत भरी तो थी
पहले से इनमें
बस आये अमल में कैसे
ये तुमसे बेहतर
सिख रही हैं।।
हैं झपकती ये तो
कुछ अलग ही
कशिश होती है
लहरों पर जैसे कोई ये
कहानी लिख रही हैं।।
वक़्त का जमाने पर ये
नया निज़ाम आयद है
कमलेश' इनायत है तेरी
जितनी भी दिख रही हैं।।
कमलेश वर्मा' कमलेश🌹
(करोना काल में मास्क )
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