रविवार, 5 अक्टूबर 2014 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

इंतज़ार है ।।

मुद्दतों से तेरी राहे बरी का इंतजार है,
परेशान नहीं हूँ बिलकुल यही प्यार है।।
जूस्त्जू दिल की हो आमदे मंजिल ,
इतना तो सोचने का दिल को भी अख्तियार है।।
प्यार की इमारत बुलंद है जिस नींव पर,
जिसमे ना कोई शक की इक भी दरार है।।
ले आई है चाहतों की कश्ती मझधार में,
मुस्तकबिल है वाबस्ता किस्मत की पतवार है ।।
कमलेश"इस दिल की खाशियत है यही,
कभी नाशाद है.....कभी बेकरार है ।।