अजीब इतफाक कहें उनसे मुलाकात हो गयी,
ना लब हिले नजर मिली उनसे बात हो गयी।।
यादों की लहरें उठने लगी बीते जमाने की,
करते बातें कब दिन गया कब रात हो गयी।।
जुदा होने के अहसास से जान निकल जाती थी,
उलझन यही दिल में लिए नई प्रभात हो गयी।।
वक्त की बेरुखी ना कभी महसूस हुई हमको,
दूरियों का दौर कैसे ?उसकी सौगात हो गयी।।
कमलेश'बहुत तडफता है दिल ये सोचकर,
पहले ना हुई तो क्यूँ ?अब मुलाकात हो गयी।।
1 comments:
बहुत उम्दा !
हमारे रक्षक हैं पेड़ !
धर्म संसद में हंगामा
एक टिप्पणी भेजें