तेरी चिलमन की बंदिशें हटा ना सके,
है चाँद छुपा इसमें,खुद को बता ना सके।।
है इंतजार हवा के झोंके का मुझको,
खुद तो उलझन सुलझा ना सके।।
चिराग उम्मीदों के जला रखे हैं,
कोई तूफां भी इसको बुझा ना सके।।
कभी तो 'कमलेश' होगा दीदार उनका,
ये अपने ही दिल को समझा ना सके।।
2 comments:
बहुत बेहतरीन रचना....
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन में शामिल किया गया है... धन्यवाद....
सोमवार बुलेटिन
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