आंसूओ के मोती ,यूँ जाया ना करो ,
ये दौलत है कीमती, यूँ बहाया ना करो।
हंसते रहना हमेशा, जिनकी फ़ितरत रही,
उनकी खूबसूरती , बेवज़ह यूँ ही गंवाया ना करो।
इनके गिरने से टूट जाते हैं, रास्ते के पत्थर,
झूठे ज़ज़्बातों के ख़ातिर , पलकों को भिगाया ना करो।
जिन आंखों का गर , सूख चुका हो पानी
उन आंखों से इनको हरगिज़ मिलाया ना करो।
कमलेश' है जहां में अब भी, कीमत इनकी,
तोहफ़ा है कुदरत का ,यूँ ही छलकाया ना करो।।
वाह ... एहसास लिए सुन्दर रचना ...
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