जिन्दगी चलती जा रही, किस ओर है ,
मिलन इस छोर पर ,बिछुड़ना उस ओर है ।
सिमट जाएँगी यादें ,जहन में कहीं ,
पूछेगी जिन्दगी, ये कौन सा मोड़ है ।
खुश हो लेंगे हम ,मिले थे कभी ,
उन खुशनुमा लम्हों का , अहसास बेजोड़ है ।
क्यूँ सोचते हैं ,जुदा हो जायेंगे हम ,
क्या डोर अपने प्यार की ,इतनी कमजोर है ।
'कमलेश' निभा लो जब तलक ,निभे दोस्ती ,
जिंदगी जीने की वजह ,तो कुछ और है ॥
3 comments:
सिमट जाएँगी यादें ,जहन में कहीं ,
पूछेगी जिन्दगी, ये कौन सा मोड़ है ।
क्या खूब कहा जनाब आपने। लाजवाब लगी आपकी रचना
क्यूँ सोचते हैं ,जुदा हो जायेंगे हम ,
क्या डोर अपने प्यार की ,इतनी कमजोर है ।
सुन्दर रचना
क्यूँ सोचते हैं ,जुदा हो जायेंगे हम ,
क्या डोर अपने प्यार की ,इतनी कमजोर है ।
बहुत सुन्दर
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