कैसे कह दें कि तुमसे मुझे प्यार नही ,
होंठ बोले ''हाँ '' दिल करबैठा इकरार कहीं ''
मुद्द्त्तों से तरसती रही जिनको आँखें ,
पास आकर वो कर दे न इंकार कहीं ।
दिल की उमंगों की लहर तेज थी;
लगने लगा ,हो न जाए मझधार कहीं ।
''कमलेश ''न उठाओ पर्दे अपने ,
देखने लग जाए न दुनिया आर -पार कहीं ॥
4 comments:
प्रेम की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...बढ़िया गीत..बधाई!!
दिल की उमंगों की लहर तेज थी;
लगने लगा ,हो न जाए मझधार कहीं ।
-बढ़िया शेर निकाला है. गज़ल बेहतरीन बन पड़ी है, बधाई.
सर, वो इनकार नही करेगी..
you are writing too good sir... thanks
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