आने वाली है वह घड़ी ,जिसकी नही नेताओं को पड़ी ,,
जब ड्रैगन उपर चढ़ दहाडेगा ,
भारत माँ का आंचल फाडेगा ,
दुहरायी जायेगी क्या ,सन ६२ की गाथा ,
बाद में ये हम फ़िर पीटेंगेअपना माथा .,
उससे पहले होश करो ,
चीनियों को खामोश करो ,
अंदर से भी खतरा है ,
बाहर भी सन्नाटा पसरा है ,
समझो दो इस पडोसी को ,
कुछ समझे इस खामोसी को ,,
बहुत बन लिए हम महान ,
अब खोलो बहरों के कान ,
'कमलेश'ये समझे एक ही भाषा ,जब ड्रैगन उपर चढ़ दहाडेगा ,
भारत माँ का आंचल फाडेगा ,
दुहरायी जायेगी क्या ,सन ६२ की गाथा ,
बाद में ये हम फ़िर पीटेंगेअपना माथा .,
उससे पहले होश करो ,
चीनियों को खामोश करो ,
अंदर से भी खतरा है ,
बाहर भी सन्नाटा पसरा है ,
समझो दो इस पडोसी को ,
कुछ समझे इस खामोसी को ,,
बहुत बन लिए हम महान ,
अब खोलो बहरों के कान ,
खीच के मारो 1000 तमाचा ॥
5 comments:
KHEENCH KE MARO 1000 TAMACHA PAR HUM ME TO BAHUT shanshakti hai itane jaldi thode hi marne pe utarenge.
सुंदर रचना !!
सटीक!!
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
कृप्या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य का एक नया हिन्दी चिट्ठा शुरू करवा कर इस दिवस विशेष पर हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार का संकल्प लिजिये.
जय हिन्दी!
जोगलेकर जी ,नमस्ते ,आपकी संसय अपनी जगह ठीक है, पर कब तक इक झूठी दुनिया में जिएँगे, की हम एक शक्ति के रूप में उभर रहें हैं ??
बहुत खूब .. हैपी ब्लॉगिंग
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