आप खूबसूरत हो ,
इसमें कोई शक़ नहीं।
किसी को तुम कमतर कहो,
कोई हक़ नहीं।।
मान लेते थे कभी आंखें मूंदकर,
मगर बिल्कुल अब नहीं।
बरबस याद तुम्हारी आ ही गयी,
दिखी भोली सूरत जब कहीं।
तमन्नाओं की गागर है अधूरी भरी,
ढूंढती हैं नज़रें तुमको सब कहीं।
मेरे ख्यालों में जो अक्श तामीर है,
उसकी खुशबू यहीं हैं कहीं।
'कमलेश' तेरे रूप की कायल है दुनिया,
आज आसमाँ बन गयी है जमीं।।
कमलेश वर्मा'कमलेश'💐
3 comments:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (04-03-2017) को "होली गयी सिधार" (चर्चा अंक-2899) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर !
बहुत सुन्दर
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