मंगलवार, 1 अगस्त 2017 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

इन आंसुओं को ....।।

आंसूओ के मोती ,यूँ जाया  ना करो ,
ये दौलत है कीमती, यूँ बहाया ना करो।

हंसते रहना हमेशा, जिनकी फ़ितरत रही,
उनकी खूबसूरती , बेवज़ह यूँ ही गंवाया ना करो।

इनके गिरने से टूट जाते हैं, रास्ते के पत्थर,
झूठे ज़ज़्बातों के ख़ातिर , पलकों को भिगाया ना करो।

जिन आंखों का गर , सूख चुका हो पानी
उन आंखों से इनको हरगिज़ मिलाया ना करो।

कमलेश' है जहां में अब भी, कीमत इनकी,
तोहफ़ा है कुदरत का ,यूँ ही छलकाया ना करो।।

1 comments:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह ... एहसास लिए सुन्दर रचना ...