आंसूओ के मोती ,यूँ जाया ना करो ,
ये दौलत है कीमती, यूँ बहाया ना करो।
हंसते रहना हमेशा, जिनकी फ़ितरत रही,
उनकी खूबसूरती , बेवज़ह यूँ ही गंवाया ना करो।
इनके गिरने से टूट जाते हैं, रास्ते के पत्थर,
झूठे ज़ज़्बातों के ख़ातिर , पलकों को भिगाया ना करो।
जिन आंखों का गर , सूख चुका हो पानी
उन आंखों से इनको हरगिज़ मिलाया ना करो।
कमलेश' है जहां में अब भी, कीमत इनकी,
तोहफ़ा है कुदरत का ,यूँ ही छलकाया ना करो।।
1 comments:
वाह ... एहसास लिए सुन्दर रचना ...
एक टिप्पणी भेजें