वाह -वाह क्या ? है देखो सत्ता पक्ष का फंडा ,
कसाब, अफजल खाएं बिरयानी ''बाबा'' खाएं डंडा ॥
सत्ता के अहंकार से टकराना खेल नहीं होता ,
अहंकार के आगे जज्बातों से मेल नही होता ॥
जो कुछ देखा देश ने ,हो सकता ये बस नमूना हो ,
सत्ता पर आया जो खतरा ,दमन इससे दूना हो ॥
सवा करोड़ की दुनिया में सिर्फ तुम दोनों का 'एका 'है ,
सत्ता की पूंछ जलाने का क्या ले रखा तुम्ही ने ठेका है ॥
जिस जनसक्ती के बल पर 'गर'चल सकते गोली डंडे ,
तो जन-शक्ति ही बदल के रख देगी ,सत्ता पक्ष के फंडे॥
''अन्ना''बाबा का ये मिशन ,इतिहास बदल देगा ,
ये सत्ता धीसों का हास-परिहास बदल देगा ॥
'कमलेश' सोचा भी नही था किसी ने ऐसी ''आंधी'' की ,
इतनी गहरी मार करेगी ,सोच 'माहत्मा गाँधी 'की ॥
4 comments:
सोचा तो वाकई नहीं था ऐसी आँधी का....
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