हिन्दी powered by Lipikaar.com
ऐ मेरे अहले -वतन तू , ज्यादा उम्मीद न कर ,
क्यूँ की तेरे ही गद्दार तुझे, बेचने पे तुले हैं !
जिन को दी थी चाबी ,सम्भालने को इस देश की ,
उनके इमानो के त्ताले, पहले ही खुले हैं !
पाक- दामन समझ, जिनको पूजती है दुनिया ,
अरे ।!! बाप ये सब आपस में घुले -मिले हैं !
जिस तेरे चमन में उडती थी चहचहाती चिड़ियाँ ,
अब जरा !गौर से देखो वहां , अब सांप पले हैं !
गौरो -फ़िक्र है ,तेरी तेरे बच्चों को, जान से ज्यादा ,
क्या करें 'कमलेश'तेरे ही कानून ने, लब सिले हैं !
जिन्होंने तोडना था तिलस्म, नापाक पड़ोसी का ,
पता चला ..!उनसे पहले ही ,उनके दिल मिले हैं !!
3 comments:
जिस तेरे चमन में उडती थी चहचहाती चिड़ियाँ ,
अब जरा !गौर से देखो वहां ,सांप पले हुए हैं !
बहुत खूब
bahut hi vicharottejak rachna...desh ki avyavasthaon pe gehri chot karti sundar rachna...
बहुत बढ़िया!
एक टिप्पणी भेजें