बाटों खुशियाँ इस जीवन में,
कल को किसने देखा है;
यही सत्य है इस जीवन का,
बाकी तो सब धोखा है ;
सत्कर्मों का उद्यम कर लो,
दुष्कर्मों से दूर रहो;
मृत्यु के तुम भय को त्यागो,
जीवन से भरपूर रहो;
कर्मों से किस्मत को मोड़ो,
उस पर ही विश्वास करो;
दीन-हीन की सेवा में ही ,
तीरथ गंगा घाट करो;
स्वर्ग नर्क की परिभाषा को,
निजकर्मों से बदलो तुम ;
कर्म हमारा भाग्य बनाते
जैसा मर्जी लिख लो तुम
अग्रज श्री ''समीर लाल ''जी दुवारा सम्पादित ....
अग्रज श्री ''समीर लाल ''जी दुवारा सम्पादित ....
2 comments:
बहुत बढ़िया संदेश..लय कहीं कहीं अटकती है.
बाटों खुशियाँ इस जीवन में,
कल को किसने देखा है;
यही सत्य है इस जीवन का,
बाकी तो सब धोखा है ;
bilkul sahi darshan hai jeevan ka....
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