जिन्दगी को गर जिए जिन्दगी ,ये कोई कम नही ।
जिन्दगी को न भी मिले जिन्दगी, तो कोई गम नही ।
जिन्दगी से जब खुद बिछुड़े जिन्दगी ,तो हो आँख नम नही ।
जिन्दगी बिछूड कर कहाँ जाएगी तू ,बैठे रहेंगे इंतजार में हम यहीं ।
जिन्दगी कहते थे ,बहुत खूबसूरत है ,देखा तो अब कोई भ्रम नही ।
जिन्दगी ''कमलेश'' कि दोस्त है, जिन्दगी है तो ,'हैं 'नही तो हम नही॥
6 comments:
बहुत ही बढ़िया रचना ... बधाई.
बहुत खूब!
जिन्दगी को गर जिए जिन्दगी'
जी हाँ! कभी कभी जिन्दगी बिना जिन्दगी के भी होती है.
nice.....................................................nice...................................................................................nice...............................................................................................................................suman
उम्दा कहा
जिन्दगी को गर जिए जिन्दगी ,ये कोई कम नही ।
जिन्दगी को न भी मिले जिन्दगी, तो कोई गम नही ।
बहुत खूब .....!!
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