जिन्दगी में न कभी ,इतने मजबूर हुए,
जबसे जनाब हमसे से दूर हुए ।
न मिलता है इक पल सकूं दिल को ,
फकत तेरे इश्क में बदनाम जरूर हुए ।
उनको क्या पता ,अपनी मुहब्बत का ,
दर्दे -दिल की दवा ,जो मेरे हजूर हुए ।
हो जाएगी जख्मों की ,भरपाई ,
जिन जख्मों की वजह से मशहूर हुए .।
बस ऐसा न हो ,छोड़ दो बीच राह में ,
निभाना वादे जो हमको मंजूर हुए ।
''कमलेश'' इंतजार में जी लेना नही काफी ,
जब सपनों के टुकड़े भी चूर-चूर हुए ॥
4 comments:
हो जाएगी जख्मों की ,भरपाई ,
जिन जख्मों की वजह से मशहूर हुए .।
जख्म भी अक्सर मश्हूर कर देता है
बेहतरीन रचना
आपका ब्लाग बेहद खूबसूरत है..
बहुत सुन्दर भावों की अच्छी प्रस्तुति----।
बहुत सुन्दर! बार बार पढने को मन करता है.
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