दर्द में भी ये..!!!
दर्द में भी ये लब मुस्कुरा जाते हैं ,
बीते लम्हें हमें जब भी याद आते हैं , ।
चाँद लम्हात के वास्ते ही सही ,
मुस्कुराकर मिली थी मुझे जिंदगी , ।
तेरी आगोश में दिन थे मेरे कटे ,
तेरी बाहों में थी मेरी राते कटी ।
आज भी जब वो पल मुझको याद आते हैं ,
दिल से सारे गमो को भुला जाते हैं ।
दर्द में भी ये लब मुस्कुरा जाते हैं ,
बीते लम्हे हमें जब भी याद आते हैं , ।
मेरे काँधे पे सर को झुकाना तेरा ,
मेरे सीने में ख़ुद को छुपाना तेरा , ।
आके मेरी पनाहों में शामो सहर ,
कांच की तरह वो टूट जाना तेरा ,
।
आज भी जब मंजर नज़र आते है ,
दिल की विरानियो को मिटा जाते हैं ।
दर्द में भी ''कमलेश'' लब मुस्कुरा जाते हैं ,
बीते लम्हें हमें जब भी याद आते हैं ...
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2 comments:
ओह दर्द अभी भी बहुत कुछ है
बढ़िया रचना
हैपी दशहरा.. हैपी ब्लॉगिंग
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