सोमवार, 9 सितंबर 2019 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

क्यूँ ‼मुझपे ..!

क्यूँ ? मुझपे उसको यकीं आता नही ।
यूँ ही बेवज़ह कोई ,अश्क़ बहाता नहीं।।🌹

शब सारी गुजरी है ,इन गीली आँखों में।
क्या ? मेरा ख्वाब भी ,उसको सताता नहीं।।🌹

रूह जलती है उसकी, यादे तपिस में।
जिस्म जलता तो ,इतना रुलाता नहीं।।🌹

कमलेश'पहरे बिठा दूं ,यादों के महल में।
अब इधर  कोई , आता जाता नहीं🌹