कच्ची दीवार समझ कर...!!!
समझ कर दीवार कच्ची ठोकर न लगाना मुझको ,
नज़रों मेंअपनी बसा कर न गिराना मुझको !
तुमको आँखों में ख्वाबों की तरह रखता हूँ ,
दिल में धडकन की तरह तुम भी बसाना मुझको ।
बात करने में जो मुश्किल हो तुम्हे महफिल में ,
मैं समझ जाऊँगा नज़रों से बताना मुझको !
वादा उतना ही करो जितना निभा सकते हो ,
खवाब पूरा जो न हो वो न दिखाना मुझको !
रिश्ते की नजाकत का भ्रम रख लेना '',कमलेश''
मैं तो आशिक हूँ पागल न बनाना मुझको !
समझ करदीवार कच्ची ठोकर न लगना मुझको ,
अपनी नज़रों में बसा कर न गिराना मुझको !
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2 comments:
bahut hi sundarta se apani bhaawanao ko rakhi hai apane.............pure kawita
बहुत बढ़िया रचना वर्माजी आभार
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